रेस्टोरेंट शुरू करना चाहते हैं ? यहां विभिन्न लाइसेंस की आवश्यकताओं की बारे में वो सारी बातें हैं, जो आपको मालूम होनी चाहिए 
रेस्टोरेंट शुरू करना चाहते हैं ? यहां विभिन्न लाइसेंस की आवश्यकताओं की बारे में वो सारी बातें हैं, जो आपको मालूम होनी चाहिए 

 

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में रेस्टोरेंट उद्योग 7 प्रतिशत के दर से बढ़ रहा है, जिसमें से संगठित क्षेत्र, असंगठित क्षेत्र के मुकाबले अधिक तेजी से 16 प्रतिशत से बढ़ रहा है। 15 लाख खान-पान बिक्री केंद्रों में से केवल एक छोटा हिस्सा ही संगठित क्षेत्र का भाग है। संगठित क्षेत्र 2017 तक रु. 22,000 करोड़ तक पहुंचना अनुमानित है। त्वरित सेवा रेस्टोरेंट अधिकतम विकास प्रदर्शित करेंगे और कैजुअल डाइनिंग, कैफेस तथा फाइन डाइनिंग उनसे कदम मिलाएंगे। ज्यादातर भारतीय महीने में सिर्फ दो ही बार बाहर खाते हैं। वो यदि और थोड़ा भी ज्यादा बाहर खाने लगते हैं, तो बाजार के अवसर बेहतरीन ढंग से बढ़ जाएंगे।  

अकेले दिल्ली - एनसीआर में ही लगभग 2,200 लाइसेंस्ड आउटलेट्स हैं, जबकि मुंबई में 1,500 और बंगलुरु में लगभग 300-400 लाइसेंस हैं। खर्च करने लायक आय, एकल परिवार और कामकाजी जनसंख्या में वृद्धि के कारण रेस्टोरेंट व्यवसाय नई ऊंचाईयां छूने जा रहा है। रेस्टोरेंट व्यवसाय के लिए एक और अनुकूल बात ये है कि ये व्यवसाय फायदेमंद होने के कारण इस क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ रहा है। 

अगर आप रेस्टोरेंट व्यवसाय में कदम रखने की सोच रहे हैं, तो कानूनी उलझनों से बचने के लिए आपको सारी आवश्यकताओं की पूरी जानकारी होनी चाहिए। नियामक मानकों का पालन करने के लिए विभिन्न निकायों से जारी किए जाने वाले लाइसेंस/अनापत्ति प्रमाण-पत्रों की जानकारी यहां दी गई है। 

  1. अन्न सुरक्षा लाइसेंस : FSS (खाद्य व्यवसायों के लिए लाइसेंसिंग और पंजीयन) नियामक 2011 के अंतर्गत लाइसेंस पाना प्राथमिक आवश्यकता है। हर रेस्टोरेंट मालिक ने अपना व्यवसाय FSSAI के साथ पंजीकृत करना अनिवार्य है, क्योंकि वह सर्वोच्च खाद्य नियामक संस्था है। इतना ही नहीं लाइसेंस के बिना रेस्टोरेंट व्यवसाय करना कानूनन जुर्म है और इसके लिए दंड भी हो सकता है। पंजीयन, राज्य लाइसेंसिंग और केंद्रीय लाइसेंसिंग के लिए पात्रता मानदंडों को देख लें। केंद्रीय लाइसेंसिंग प्रक्रिया के लिए इस लिंक का आधार लें - http://foodlicensing.fssai.gov.in/UserLogin/Login...
  2. स्वास्थ्य/व्यापार लाइसेंस : एक और महत्वपूर्ण लाइसेंस, जो रेस्टोरेंट मालिक के पास होना जरूरी है, वह है स्वास्थ्य/व्यापार लाइसेंस। ये नगर परिषद या राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
  3. भोजनगृह लाइसेंस : भोजनगृह लाइसेंस अनिवार्य है और ये शहर/राज्य के पुलिस मुख्यालय या पुलिस आयुक्त द्वारा जारी किया जाता है। इस लाइसेंस के लिए ऑनलाइन निवेदन का भी प्रावधान है। उदहारण के लिए यदि आप दिल्ली में रेस्टोरेंट शुरू करना चाहते हैं, तो आप http://delhipolicelicensing.gov.in/eating/eating-h... पर जाकर आवेदन दे सकते हैं।
  4. अग्नि-सुरक्षा प्रमाणपत्र : सभी रेस्टोरेंट्स को आग से बचने के उपाय करने पड़ते हैं और इसके लिए उन्हें शहर के अग्निशामक विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लेना पड़ता है। आवेदन के बाद, निरिक्षण प्रक्रिया पूरी की जाती है और सभी मानदंडों को पूरा करने पर अग्निशामक दल के अधिकारी NOC जारी करते हैं या अगर आपके रेस्टोरेंट की अग्नि-सुरक्षा में कोई कमी हो, तो आपको जानकारी देते हैं।
  5. मद्य परवाना : अगर आप अपने रेस्टोरेंट में शराब परोसने जा रहे हैं, तो उसके लिए लिकर लाइसेंस L-4 (नए आबकारी नियमों के अनुसार L-17) होना जरूरी है। ये शहर/राज्य के आबकारी आयुक्त से लिया जा सकता है। http://delhi.gov.in/wps/wcm/connect/doit_excise/Ex...
  6. रेस्टोरेंट्स की संमति/पुनः संमति - यदि आप L-4 के लिए आवेदन देना चाहते हैं, तो उसके लिए भारत सरकार के पर्यटन विभाग के राज्य कार्यालय से पूर्व संमती आवश्यक है।
  7. उद्वाहक अनुमति : बहुमंजिला इमारतों में स्थित रेस्टोरेंट्स को सुनिश्चित करना पड़ता है कि लिफ्ट सुरक्षा मानकों के अनुरूप है। इसके लिए उन्हें विद्युत् विभाग के निरीक्षक तथा शहर के श्रम आयुक्त से भी अनुमति प्राप्त करनी होगी।
  8. म्यूजिक लाइसेंस : जब तक आपके पास कॉपीरिथ एक्ट, 1957 का अनुपालन करने वाला लाइसेंस नहीं है, आप अपने रेस्टोरेंट में रिकार्डेड संगीत या वीडियो चला नहीं सकते हैं। ये लाइसेंस फोनोग्राफिक परफॉरमेंस लि. (PPL) या इंडियन परफोर्मिन राइट सोसाइटी (IPRS) से प्राप्त किया जा सकता है। http://www.pplindia.org/licctg.aspx या http://www.iprs.org/cms/ पर जाकर प्रक्रिया पूरी करें।
  9. पर्यावरणीय मंजूरी का प्रमाणपत्र (CEC) : रेस्टोरेंट्स पर्यावरण मानकों का भंग नहीं कर रहे हैं, ये सुनिश्चित करने के लिए शहर/राज्य के पर्यावरण मंडल से NOC आवश्यक है।
  10. बीमा : रेस्टोरेंट्स के पास सार्वजनिक जिम्मेदारी, उत्पाद की जिम्मेदारी, अग्निसुरक्षा- नीति तथा इमारत और मालमत्ता नीति - इनके लिए बीमा होना आवश्यक है। ये किसी भी मान्यता प्राप्त बीमा कंपनी से पाए जा सकते हैं।
  11. साइनेज (संकेतक) लाइसेंस : संकेतकों के सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए आवश्यक इस लाइसेंस को आप नगरपालिका समिति या नगर निगम जैसे स्थानीय नागरिक प्राधिकरण से प्राप्त कर सकते हैं।
  12. शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट एक्ट : आपने शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत आपके रेस्टोरेंट का पंजीयन करना आवश्यक है। ये क़ानून कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें काम करने की अनुकूल स्थितियां दिलाने के लिए है।
  13. नापतौल विभाग की स्वीकृति : लीगल मैट्रोलोजी एक्ट 2009 के अनुसार, आपको नापतौल विभाग से आपके रेस्टोरेंट्स में इस्तेमाल हो रहे नापतौल के उपकरणों के लिए स्वीकृति लेना आवश्यक है।

अगर आप रेस्टोरेंट व्यवसाय में कदम रखना चाहते हैं, तो व्यवसाय की योजना और आर्थिक सुरक्षा के साथ-साथ आपके पास अनिवार्य नियामक आवश्यकताओं की सूची भी होनी चाहिए। लाइसेंस पा लेने के बाद आप शांति से अपने व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और हाँ, अपने लाइसेंसेज का समय पर नूतनीकरण करना ना भूलें।

लेखक के बारे में:

डॉ. सौरभ अरोरा, संस्थापक - फूडसेफ्टी हेल्पलाइन

जामिआ हमदर्द विश्वविद्यालय से औषधीय में डॉक्टरेट और NEPR से उसी विषय में स्नातकोत्तर डॉ. सौरभ अरोरा एक युवा एवं ऊर्जस्वी व्यवसायी हैं। उन्होंने हल्दी का एक सक्रिय घातक घटक कर्कुमिन की नैनो टेक्नोलॉजी आधारित डिलीवरी के लिए पेटेंट अविष्कार किया है।  उनके नाम पर कई राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन तथा पेटेंट्स हैं। 

लगभग 10 वर्ष तक अर्ब्रो और ऑरिगा में टेस्टिंग लेबोरेटरी और रिसर्च बिजनेस के प्रमुख रह चुके डॉ. अरोरा ने नई दिल्ली, बद्दी और बंगलुरु में 4 अद्यतन प्रयोगशालाओं का आरेखन और रचना की है। डॉ. सौरभ अरोरा 4 प्रयोगशालाओं में 250 से अधिक वैज्ञानिक और विशेषज्ञों का नेतृत्व करते हैं। उनकी ये टीम हर वर्ष खाद्य, खुदरा, अतिथि सेवा, न्युट्रास्युटिकल, औषधि, सौंदर्य, कृषि, चिकित्सीय उपकरण, अनुसन्धान, शैक्षणिक और रियल-एस्टेट उद्योग के 10,000 से भी अधिक ग्राहकों की सेवा करती है।

 
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