सबसे प्रिय शाकाहारी रेस्टोरेंट की 35 वर्षों की यात्रा
सबसे प्रिय शाकाहारी रेस्टोरेंट की 35 वर्षों की यात्रा

होटल के स्वच्छता कर्मचारी के रूप में शुरूआत करने वाले बी राजगोपाल द्वारा स्थापित सरावन भवन ने 1981 में एक सम्पूर्ण शाकाहारी रेस्टोरेंट के रूप में स्वयं को प्रस्तुत किया। तब से सरावन भवन का साम्राज्य विस्तारित होता गया। आज उनके भारत भर में शाकाहारी रेस्टोरेंट्स और होटल्स हैं, यहाँ तक कि 20 बाहरी देशों में भी शाखाएं हैं। 1990 के उत्तरार्ध में राजगोपाल के बेटे शिव कुमार और उनके छोटे भाई व्यवसाय से जुड़ गए और भारत में उसका विस्तार शुरु हुआ तथा 2000 में दुबई में पहले वैश्विक आउटलेट की स्थापना हुई। 7000+ कर्मचारी और 20 से अधिक देशों में उपस्थिति के साथ सरावन भवन दिन दूनी रात चौगूनी प्रगति कर रहा है। उनके साथ साक्षात्कार के कुछ अंश:

 

पिछ्ले 30 वर्षों में सरावन भवन की यात्रा कैसे रही?

हमने अपनी पहली शाखा 1981 में शुरू की। वह 24 कर्मचारी और 60 आसन क्षमता का एक छोटा-सा भोजनगृह था। जब हमने शुरूआत की थी, तब रेस्टोरेंट्स का या दक्षिण भारतीय रेस्टोरेंट्स का कोई ब्रांड नहीं था, न ही उच्च दर्जे के दक्षिण भारतीय खाद्य-पदार्थ आकर्षक रूप में परोसने वाला कोई अच्छा रेस्टोरेंट था। मेरे पिताजी ने रेस्टोरेंट के मानक बनाए – खाद्यपदार्थ, प्रदर्शन, प्रस्तुति, कर्मचारी कल्याण, इन सब के कारण हमें बाजार में अच्छा नाम मिला और हम धीरे-धीरे विस्तार करते हुए मल्टि-रेस्टोरेंट में तब्दील हुए। 1980 के दशक में, मल्टि-रेस्टोरेंट्स के बाद लोग हमें एक ब्रांड के रूप में स्वीकारने लगे। इस तरह 1990 के दशक में हम अपनी एक ब्रांड इमेज बनाने में कामयाब हुए और जल्द ही, यानी कि 2000 में हमने अपनी पहली विदेशी ईकाई दुबई में शुरू की।

आप विदेशी तथा भारतीय बाजार में कुल कितने रेस्टोरेंट्स संचालित कर रहे हैं?

हमारे भारत में 37 और वैश्विक स्तर पर 63 रेस्टोरेंट्स हैं। सभी आउटलेट्स कंपनी के स्वामित्व में हैं और स्थानीय निवेशकों द्वारा संचालित हैं।

अपने ब्रांड को वैश्विक स्तर पर ले जाते हुए कौन-सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

विभिन्न देशों और विभिन्न शहरों में हमारे कर्मचारियों के लिए वर्किंग परमिट्स प्राप्त करना, यही हमारे लिए सबसे बड़ी दिक्कत थी। वर्ना सामग्री या स्थानीय श्रमशक्ति को उपलब्ध कराना कोई बड़ी समस्या नहीं थी। हमारे सारे स्थानीय उत्पाद हमारे संचालन के सभी देशों में उपलब्ध हैं। इसीलिए, हमारे ब्रांड को इन बाजारों में अच्छी स्वीकार्यता मिली।

जब आप ब्रांड से जुड़ गए तब आपको कौन-सी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई?

सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी हमारे उच्च स्तर को बरकरार रखना कि वो कभी-भी लोगों को निराश न करे। उस समय हमें स्थानीय रूप पर भी वृद्धिंगत होने का अनुमान नहीं था। हम स्थानीय स्तर पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहते थे, लेकिन वैश्विक बाजार से मांग इतनी ठोस थी कि हम विस्तार की राह पर चल पड़े।

आप भारत में अपने ब्रांड का विस्तार किस रूप में देखते हैं?

भारत में ट्रेंड्स के बारे में तो बहुत जबरदस्त बढ़ोतरी है। कई लोग दक्षिण भारतीय आहार को पसंद कर रहे हैं और हमारे ब्रांड के विकास का आलेख अच्छा है।

आपकी विस्तार की योजनाओं के बारे में बताएं

हम वैश्विक बाजार में शहर दर शहर बढ़ रहे हैं। स्थानीय स्तर पर हम बढ़ नहीं रहे हैं, क्योंकि चेन्नई में हमारे अपने होटल्स स्थापित करने पर हमारा ध्यान केंद्रित है और वही एक वजह है कि हम भारत में अपने रेस्टोरेंट्स का विस्तार करना नहीं चाहते।

 

आपकी विशेष मार्केटिंग रणनीति क्या है?

अब जबकि चेन्नई में हमारे 30+ रेस्टोरेंट्स हैं, हम स्वयं को मार्केट करने की कोशिश नहीं करते, क्योंकि लोग ब्रांड के बारे में जानते हैं। जुबानी प्रचार से ही लोगों को ब्रांड की पहचान हो जाती है। हम मार्केटिंग पर ध्यान देने के बजाय हमारे खाद्यपदार्थों की गुणवत्ता और रेस्टोरेंट्स के मानकों का स्तर कायम रखने पर केंद्रित रहते हैं। हम मार्केटिंग की बजाय अपने उत्पादों और सेवाओं का ख्याल रखते हैं। उद्योग में 30 वर्षों से अधिक होने के कारण हमें अपने आपको मार्केट करने की आवश्यकता नहीं है।

आप ग्राहकों को अपने रेस्टोरेंट्स में कैसे आकर्षित करते हैं?

हम अपने मेन्यू में नए-नए पदार्थ और प्रकार लाते रहते हैं और उसमें नवीनता बनाए रखते हैं।

हम ये देखते हैं कि आज के ग्राहक किसी एक ब्रांड के प्रति वफादार नहीं हैंइसके पीछे क्या कारण हो सकता है?

लोगों को माहौल और खाने के स्वाद में विविधता चाहिए। उनकी पसंद हर दिन और हर हफ्ते बदल सकती है और लोग अलग-अलग रेस्टोरेंट्स परख कर देख सकते हैं, क्योंकि उन्हें अपने खाने में अलगपन चाहिए होता है। यही सबसे बड़ी वजह है कि ग्राहक किसी एक रेस्टोरेंट से वफादार नहीं होते हैं।

आपके आउटलेट्स में साधारणतः ग्राहक-संख्या क्या होती है?

हमारे विदेशी आउटलेट्स और स्थानीय स्टोर्स को मिला कर हर दिन हमारे यहाँ 1,00,000 से अधिक लोग आते हैं।

आप बाजार में बढ़ती प्रतियोगिता को किस रूप में देखते हैं?

निश्चित ही, पिछले कुछ समय में विविध प्रकार के रेस्टोरेंट्स सामने आ रहे हैं। सफलता के लिए प्रतियोगिता एक स्वस्थ तरीका होता है और ये प्रतियोगिता के ही कारण है कि हम अपने खाद्यपदार्थों की गुणवत्ता को बहुत ही उच्च स्तर पर रखने में कामयाब रहे हैं। प्रतियोगिता के कारण व्यवसाय को भी लाभ मिलता है और ग्राहकों को भी चुनने के लिए विविधता मिलती है।

 
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